इतने वर्षों बाद भारत माँ को खुलकर मुस्कुराते देखा है !

Poet: Anonymous जो पढ़ सके न खुद किताब मांग रहे है,  खुद रख न पाए वे हिसाब मांग रहे है। जो कर सके न साठ साल…

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